The Old-Clock Shop Summary Moral and Objective in Hindi
पुराने घड़ी की दुकान एक त्योहारों और उत्सवों के प्रभाव की कहानी है। त्यौहार लोगो को ख़ुशी और उमंग से जीने की प्रेरणा देते हैं। ये शांति और भाई-चारे का भी सन्देश देते हैं ।
इस कहानी में एक दुकानदार रे (Ray ) है जो अपनी घडी की दूकान चलाता है।वह मूक है यानि कुछ बोल नहीं सकता। क्रिसमस का समय है और लोग अपनी खरीददारी कर रहे। काफी रात हो चुकी होती है और रे अपनी दुकान को बंद करने की सोचता है। तभी दरवाजे पे एक 50 साल का बूढ़ा एक २० साल के लड़के के साथ आता है।बूढ़ा को गेट पर रखकर रे के पास आता है। रे बूढ़े के बर्ताव से समझ जाता है की बूढ़ा खरदीदारी करने नहीं आया है, उसकी मंशा कुछ और है। रे नोटपैड पर लिखकर बूढ़े से पूछता है कि वह कैसे उसकी मदद कर सकता है। बूढ़ा रे पर हँसता है।दोनों समझ जाते हैं।
तभी रे पूछता है की क्या वह अपने घडी वापस लेने के लिए आये हैं। रे घड़ियों की तरफ इशारा करता है। रे जरुरतमंदो को घडी के बदले रुपये भी देता था । ये लोग रुपये वापस कर अपनी घडी ले जाते थे। बूढ़ा ये देखकर चैन की सांस लेता है और जेब से अपनी घडी निकलता है और पूछता है की इसका कितना मिलेगा । रे उस बूढ़े को 50 डॉलर दे देता है।बूढ़ा खुश हो जाता है और रे को क्रिसमस की बधाई देकर कहता है की वो घडी को लेने वापस आएगा। तभी सभी घड़ियों की घंटियां बजने लगती है और बूढ़ा वह से चला जाता है ।