Honeysuckle Class 6 Chapter 8 A game of Chance Summary in Hindi
ये एक कहानी है रशीद नाम के लड़के की और कैसे उसने जाना की किसी बात पर आँख मूंद कर किसी चीज़ पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
ईद के समय उसके गांव में हर साल बड़ा मेला (fare) लगता था, और मेला सिर्फ ईद के दिन ही नहीं बल्कि कई दिनों तक चलता था। वहां हर तरह की वस्तुएं (articles) मिल जाती थी। रशीद का भी मन था की वो मेले में जाये।उसके चाचा ने रशीद की बात मान ली और उसे अपने और एक कारीगर (worker ) के साथ मेले को ले चले। कारीगर को रशीद भैया बुलाता था।
रशीद वहां गया तो देखता ही रह गया, हर तरफ मनमोहक वस्तुओं का बाजार लगा हुआ था और लोग खरीददारी कर रहे थे। रशीद के चाचा को कुछ दोस्त मिल जाते है और वो रहीद को ज्यादा दूर न जाने की हिदायत देकर थोड़ी देर के लिए उनके साथ चले जाते हैं। रहीद अपने भैया के साथ मेले का आनंद लेने लगता है।
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लकी शॉप
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मेले में उसे एक लकी शॉप दीखता है। वहां नियम कुछ इस तरह था की 50 पैसे में 6 डिस्क मिलते थे, हर डिस्क पर नंबर लिखा हुआ था। वहां बहुत सारी वस्तुएं राखी हुई थी, हर वस्तुओं पर कुछ नंबर लिखा हुआ था। यदि सभी छहों डिस्क का जोड़ (sum) किसी सामान या वस्तु से मैच करता था तो वो सामान उस बाजी खेलने वाले का हो जाता था।
रशीद देखता है की एक बूढ़ा आता है और 50 पैसे देकर छह डिस्क ले लेता है। छहों डिस्क का जोड़ एक दीवाल घड़ी से मिलती है। वो बूढ़ा घड़ी से खुश नहीं था और दुकानदार 1 5 रुपैये में उसे वापस खरीद लेता है। बूढ़ा व्यक्ति ख़ुशी से 1 5 रुपैये ले लेता है और वहां से चला जाता है । फिर एक लड़का आता है, पहली बार में उसे एक कंघी (comb) मिलती है। दुकानदार ना खुश होता है ना ही दुखी। दूकानदार वो 25 पैसे में वापस ले लेता है। लड़का फिर कोशिश करता है। इस बार उसे एक 3 रुपये वाला स्याही का कलम (fountain pen) मिलता है। वो और कोशिश करता है और उसे एक २५ रुपये वाल हाथ का घड़ी (wrist watch), १० रुपये वाला टेबल लैंप मिलता है।अब लड़का ख़ुशी से सारा सामान लेकर चले जाता है।
रशीद का दांव
रशीद सोचता है उसे भीअपना भाग्य (luck) आजमाना चाहिए। वो 50 पैसे में छह डिस्क ले लेता है। पहली बार में उसे दो पेंसिल मिलती है। दूकानदार वो पेंसिल २५ पैसे में वापस ले लेता है। रशीद और 25 पैसे मिलकर फिर दांव लगता है।इस बार उसेएकइंक की बोतल मिलती है। येभी एक साधारण सामान (triflet)। रशीद अब तीसरी बार दांव लगाता है। हर बार उसे सस्ता सामान ही मिलता है।अंतमें उसके पास सिर्फ २५ पैसे बचते हैं , वो भी रशीद दावं पर लगा देता है उसे कुछ भी नहीं मिलता है।
रशीद दुखी मन से इसे अपना बेड-लक मान कर चला जाता है। तभी उसके चाचा वापस आ जाते हैं और रशीद को उदास देखते हैं। भइआ उसे सब बात बताते है की कैसे रशीद ने अपने सारे पैसे दांव में गवा दिए। अंकल उसे एक खूबसुरत छाता , बिस्कुट, मिठाइयों (sweets) और अन्य उपहार देकर वापस होते हैं।
घर आकर अंकल उसे बताते हैं की उस लकी शॉप ने उसे मुर्ख बनाया है। रशीद कहता है नहीं ये तो मेरा बेड-लक था।अंकल जबाब देते हैं वो जो बूढ़ा आदमी और वो लड़का था, दोनों दूकानदार के दोस्त थे। वे खुद को जिता कर बाकि लोगों को खेलने के लिए उकसाने का काम कर रहे थे ।
कहानी से शिक्षा:
इस कहानीमेंहम देखते हैं की कैसे दुकानदार ने रशीद को मुर्ख बनाया , यदि वो विवेक से सोचकर काम करता तो वैसे खेल में कभी भाग नहीं लेता। इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की किसी भी बात पर हमें आँख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए किसी के उकसावे में नहीं आना चाइए , यदि कोई व्यक्ति काम दाम में समान दे रहा तो जरूर कही कोई न कोई खोट है।
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Reference: Honeysuckle.